Kabirdas ke Dohe Part 4 with hindi meaning

 

 

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पत्ता बोला वृक्ष से, सुनो वृक्ष बनराय।
अब के बिछुड़े ना मिले, दूर पड़ेंगे जाय।।

 

वृक्ष को सम्बोधिकत करते हुए पत्ते ने कहा- हे वृक्ष! तुमसे बिछड़कर हम न जाने कहां जा पहुंचेगे, यह कोई निश्चित नहीं है, फिर तुमसे कभी मिलन नहीं हो सकेगा। हम कहां होंगे और तुम कहां होंगे। इसी प्रकार मनुष्य के शरीर से प्राण निकलकर कहां जाता है, उसे कौन सी योनि प्राप्त होती है। इसके विषय में जीव नहीं जानता अतः प्रत्येक समय भगवान का स्मरण करें, यही एकमात्र कल्याण का मार्ग है।

 

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